हमारे रिफॉर्म्स की प्रतिबद्धता चार दिन के लिए नहीं है, हमारा इरादा देश को मजबूत बनाने का है : लाल किले के प्राचीर से पीएम मोदी

PM Narendra Modi Speech: पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज सरकार ने जो रिफॉर्म्स किए हैं उससे युवाओं की जिंदगी बदली है

नई दिल्ली:

ndependence Day PM Modi Speech: देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया. अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने अपनी सरकार द्वारा शुरू किए रिफॉर्म्स का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा किहमारी सरकार ने बड़े रिफॉर्म्स को जमीन पर उतारा है. चाहे गरीब हो,मीडिल क्लास हों,वंचित लोग,बढ़ती शहरी आबादी हो,नौजवानों की सपने हों,उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए हमने रिफॉर्म का रास्ता चुना. मैं देशवासियों को बता देना चाहता हूं कि इन रिफॉर्म्स के लिए जो हमारी प्रतिबद्धता है वो किसी पिंक पेपर के एडिटोरियल के लिए सीमित नहीं है. हमारे रिफॉर्म्स की ये प्रतिबद्धता है कि वो चार दिन की वाहवाही के लिए नहीं,हमारे रिफॉर्म्स की प्रतिबद्धता किसी मजबूरी में नहीं बल्कि देश को मजबूती देने के इरादे से हैं.

पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैं आज कह सकता है हूं कि रिफॉर्म का हमारा मार्ग एक प्रकार से ग्रोथ की ब्लू प्रिंट बनी हुई है. ये बदलाव सिर्फ डिबेट क्लब के लिए चर्चा का विषय नहीं है. हमने राजनीति मजबूरी के कारण ये नहीं किया है. हमारा एक ही संकल्प होता है नेशन फर्स्ट. हमारा संकल्प है कि ये भारत हमारा महान बने.

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पीएम मोदी ने बैंकिंग रिफॉर्म का किया जिक्र

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान हमारी सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में कई रिफॉर्म किए हैं. यही वजह है कि आज विश्व के सबसे मजबूद बैंकों में हमारे बैंक भी अपना स्थान बना चुके हैं. हमनें ऐसे ही कई और रिफॉर्म्स भी किए हैं,जिसका फायदा सिर्फ और सिर्फ हमारी जनता को हो रहा है. मैं आपसे ये साफ कर देना चाहता हूं कि ये भारत के लिए गोल्डन एरा है. ये मौका हमें अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहिए.

पीएम मोदी ने किसानों और जवानों को भी किया याद

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान आज जो लोग राष्ट्र रक्षा के लिए पूरी लगन से,पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं और देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं. वो हमारे किसान हैं,हमारे जवान हैं,हमारे नौजवानों के हौसले हैं,हमारी माताओं-बहनों का योगदान है,दलित-शोषित-वंचित-पीड़ित हैं. जरा आजादी से पहले के वो दिन याद करें. सैकड़ों साल की गुलामी और उसका हर कालखंड संघर्ष का रहा. युवा हो,किसान हो,महिला हो या आदिवासी हों... वो गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे. इतिहास गवाह है,1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व भी हमारे देश के कई आदिवासी क्षेत्र थे,जहां आजादी की जंग लड़ी जा रही थी.

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