जिसका देश उसी का परदेस...; हरियाणा चुनाव से पहले पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर

मनीष ग्रोवर

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Polls) की बिसात बिछ चुकी है. तमाम पार्टियां अब वो समीकरण साधने में लगी है,जिसके जरिए सत्ता हासिल की जा सकें. हरियाणा चुनाव से पहले बीजेपी-कांग्रेस अपनी जीत के दावे कर रही है. इस बीच पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता मनीष ग्रोवर भी अपनी पार्टी के बेहतर प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं. उन्होंने चुनाव से पहले लगाए जा रहे कयासों के बीच कहा कि हरियाणा में ट्रेंड है जिस का देश उसी का परदेस...हरियाणा में लोग डबल इंजन सरकार चाहते हैं.

बागियों पर क्या बोले पूर्व मंत्री

इसके साथ ही मनीष ग्रोवर ने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इतना काम किया है जो कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा नहीं कर पाएं. वहीं बागियों पर उनका कहना है कि एक टिकट के लिए यकीनन बहुत सारे दावेदार थे,लेकिन पार्टी के सर्वे के बाद ही टिकट दिया गया. हरियाणा भाजपा के पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर आज नामांकन दाखिल करेंगे. मनीष ग्रोवर को रोहतक से टिकट दिया है.हरियाणा में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 12 सितंबर यानि आज है.

चुनाव से पहले क्यों बढ़ी बीजेपी की मुश्किल

हरियाणा में बीजेपी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. रामबिलास शर्मा ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी,पार्टी के एक बड़े नेता के द्वारा इस तरह बिना टिकट मिले चुनाव मैदान में उतरने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है. जबकि उन्हें पार्टी की तरफ से टिकट भी नहीं मिला. रामबिलास शर्मा ने अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया है. वहीं टिकट न मिलने से नाराज पूर्व मंत्री कर्णदेव कंबोज को प्रदेश प्रभारी बिप्लब देव ने दिल्ली बुलाया था. इससे पहले गुरुवार को सीएम नायब सैनी उन्हें मनाने की कोशिश की थी.

कांग्रेस उम्मीदवार सेमनीष ग्रोवर का मुकाबला

मनीष ग्रोवर छठी बार रोहतक सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. लगातार चौथी बार कांग्रेस के भारत भूषण बतरा व भाजपा के मनीष ग्रोवर के बीच मुकाबला होगा.इस सीट पर पहले भाजपा के डॉक्टर मंगलसेन व उनके बाद कांग्रेस के बतरा बंधुओं का दबदबा है. आजादी के बाद 1947 में बंटवारे के बाद से ही अब तक केवल तीन बार छोड़कर हर बार पंजाबी समुदाय का प्रत्याशी विधायक बना. चाहे प्रत्याशी भाजपा से है या कांग्रेस पार्टी की तरफ से है.

हरियाणा में सियासी हलचल तेज

जैसे-जैसे हरियामा विधानसभा चुनाव तारीख नजदीक आ रही हैं,यहां पर सियासी तपिश का पारा भी चढ़ता जा रहा है. एक ओर जहां सत्ताधारी पार्टी भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की कवायद में जुटी हुई है. वहीं,दूसरी मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी प्रदेश में वापसी करने की पुरजोर कोशिश कर रही है. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है.

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