'कुछ लोग संविधान की मूल भावना को भूल गए हैं', उपराष्ट्रपति धनखड़ का राहुल गांधी पर निशाना

मुंबई:

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरक्षण से संबंधित बयान को लेकर रविवार को उन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति की ऐसी टिप्पणी संविधान विरोधी मानसिकता को दर्शाती है. धनखड़ ने मुंबई में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये भी कहा कि भारत के संविधान के बारे में जागरूकता की अत्यधिक आवश्यकता है,क्योंकि कुछ लोग इसकी मूल भावना को भूल गए हैं.

उन्होंने कहा,‘‘संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति का विदेशी धरती पर यह कहना कि आरक्षण समाप्त कर दिया जाना चाहिए,संविधान विरोधी मानसिकता को दर्शाता है. यह वही पुरानी संविधान विरोधी मानसिकता है,बस इसकी जिम्मेदारी किसी और ने ले ली है.''

उपराष्ट्रपति ने कहा,‘‘आरक्षण योग्यता के खिलाफ नहीं है,बल्कि यह देश और संविधान की आत्मा है. यह सकारात्मक है,नकारात्मक नहीं. यह किसी को अवसर से वंचित नहीं करता,बल्कि समाज को ताकत देने वाले स्तंभों को सहारा देता है.''हाल ही में अमेरिका की यात्रा के दौरान,लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष गांधी ने कहा था कि कांग्रेस आरक्षण खत्म करने के बारे में तभी सोचेगी,जब देश में सभी को समान अवसर मिलने लगेंगे और फिलहाल भारत में ऐसी स्थिति नहीं है.

हालांकि,बाद में अमेरिका में संवाददाता सम्मेलन में गांधी ने कहा था कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया,ताकि यह दिखाया जा सके कि वे आरक्षण के खिलाफ हैं. गांधी ने स्पष्ट किया,'मैं बार-बार कहता रहा हूं कि हम आरक्षण को 50 प्रतिशत से आगे बढ़ाने जा रहे हैं.'

धनखड़ ने कहा कि यह विडंबना है कि विदेश यात्रा का उद्देश्य भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने तथा इसके संविधान के प्रति सम्मान दिखाना नहीं बल्कि 'सार्वजनिक रूप से संविधान के प्रति अनादर व्यक्त करना' था.

उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा,'संविधान को किताब की तरह नहीं दिखाया जाना चाहिए. इसका सम्मान किया जाना चाहिए,इसे पढ़ा जाना चाहिए और समझा जाना चाहिए. कोई भी सज्जन व्यक्ति,बुद्धिमान व्यक्ति या संविधान का सम्मान करने वाला व्यक्ति कभी भी इस तरह के व्यवहार को स्वीकार नहीं करेगा.'लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान गांधी अक्सर संविधान के संक्षिप्त संस्करण की प्रति दिखाते थे,ताकि कांग्रेस नीत विपक्ष के इस आरोप को बल मिल सके कि भाजपा संविधान में बदलाव करना चाहती है और आरक्षण समाप्त करना चाहती है.

उपराष्ट्रपति ने कहा,'संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति विदेशी धरती पर लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रहा है. क्या हम अपने संविधान के लगातार हो रहे अपमान को नजरअंदाज कर सकते हैं? मैं युवाओं से ऐसे दुस्साहसों का विरोध करने का आह्वान करता हूं,वे हमारी मातृभूमि को आहत करते हैं.'

धनखड़ ने कहा कि उन्हें संविधान और उसके मूल्यों का अनादर करने वाली ताकतों से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आलोचना की और कहा कि यह 'हमारे लोकतंत्र का सबसे काला दौर' था.पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा,'मंडल आयोग की रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी गई थी,लेकिन दस साल तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. उस अवधि के दौरान देश में दो प्रधानमंत्री रहे,इंदिरा गांधी और उनके बेटे राजीव गांधी. दोनों ने इस बारे में कुछ नहीं किया.'

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