बेरूत/ लेबनान:
मिडिल ईस्ट के देश लेबनान में हिज्बुल्लाह संगठन से जुड़े सदस्यों के कम्युनिकेशन डिवाइस पेजर (Pager) में सीरियल ब्लास्ट हुए हैं. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक,इस ब्लास्ट में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि 2800 से ज्यादा घायल हुए हैं. लेबनान में ईरान के राजदूत मोजतबा अमानी भी जख्मी हो गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक,पेजर्स के ब्लास्ट में इजरायल का हाथ होने का दावा किया जा रहा है. कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पेजर्स को हैक करके ब्लास्ट किया गया है. अब तक इन आरोपों पर इजरायल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
आइए समझते हैं कि क्या है पेजर? इसे हैक करना कितना आसान है? मोबाइल फोन के जमाने में आखिर हिज्बुल्लाह के सदस्य पेजर का इस्तेमाल क्यों करते हैं? इसमें ऐसी कौन सी छेड़छाड़ की गई कि पेजर बम के समान फट गए:-
क्या होता है पेजर?
पेजर एक रेडियो सिग्नल के ज़रिए मैसेज भेजने और मैसेज रिसीव करने वाला डिवाइस होता है. इसे बीपर या ब्लीपर के नाम से भी जाना जाता है. यह आमतौर पर छोटे स्क्रीन और लिमिटेड कीपैड के साथ आता है. पेजर का सिक्योरिटी सिस्टम कमज़ोर होता है. लिहाजा इसे आसानी से हैक किया जा सकता है. यही कारण है कि मोटोरोला ने साल 2001 में पेजर का प्रोडक्शन बंद कर दिया था,लेकिन कुछ कंपनियां अब भी पेजर बना रही हैं. पेजर का इस्तेमाल कुछ खास इंडस्ट्रीज में आज भी किया जाता है. हेल्थकेयर और इमरजेंसी सर्विसेज कम्युनिकेशन के लिए पेजर का इस्तेमाल करती हैं.
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पेजर खास तौर पर 3 तरह के होते हैं:-
-वन वे पेजर: इसमें सिर्फ मैसेज रिसीव किए जा सकते हैं. आप मैसेज का रिप्लाई नहीं दे सकते.
-टू वे पेजर: इसमें आप मैसेज रिसीव भी कर सकते हैं और आंसर भी कर सकते हैं.
-वॉयस पेजर: इसमें टाइपिंग के साथ ही वॉयस मैसेज रिकॉर्ड करके भेजे जा सकते हैं.
इसे हैक करना कितना आसान?
पेजर का सिक्योरिटी सिस्टम काफी वीक होता है. इसमें इन्क्रिशन नहीं होता. लिहाजा इसे आसानी से हैक किया जा सकता है. ऐसी कई रिपोर्ट आ चुकी हैं,जिसमें दावा किया गया है कि हेल्थकेयर सेक्टर में इस्तेमाल किए जा रहे पेजर में मरीजों की कई जानकारियां लीक हुई थीं. इमरजेंसी सर्विसेस के लिए इस्तेमाल किए जा रहे पेजर के मैसेज भी लीक हो चुकी हैं.
हालांकि,पेजर की खासियत भी है. पेजर बिना मोबाइल नेटवर्क के भी काम करता है. इसलिए खराब मौसम और रिमोट एरिया में कम्युनिकेशन के तौर पर पेजर का इस्तेमाल किया जाता है.
मोबाइल के जमाने में हिजबुल्लाह पेजर का क्यों करता है इस्तेमाल?
दरअसल,लेबनान के संगठन हिज्बुल्लाह को ईरान और सीरिया का समर्थन है. गाजा में चल रहे इजरायल-फिलिस्तीन जंग में हिज्बुल्लाह भी कूद पड़ा है. उसने इजरायल में कई हमले किए हैं. गाजा जंग शुरू होने के बाद हिज्बुल्लाह ने अपने सदस्यों से मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करने को कहा था. इसी साल जुलाई में हिज्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह ने अपने सदस्यों से मोबाइल डिवाइस और CCTV का इस्तेमाल बंद करने को कहा था,क्योंकि उन्हें डर था कि इजरायल की एजेंसी और अमेरिका इन्हें हैक कर सकती है. हिज्बुल्लाह इसी वजह से कम्युनिकेशन के लिए पेजर का इस्तेमाल करता है.
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हिज्बुल्लाहके पेजर में कैसे हुआ धमाका?
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक,हिज्बुल्लाह ने अपने सदस्यों के लिए बल्क में पेजर ऑर्डर किए थे. हिज्बुल्लाह के लड़ाके अपनी जेबों या वेस्ट बैग में पेजर रखते हैं. जैसे हमें अपनी पॉकेट में फोन रखने की आदत है. रिपोर्ट के मुताबिक,ये पेज अचानक गर्म होने लगे. देखते ही देखते इनमें धमाका हो गया. ये धमाके लेबनान की राजधानी बेरूत के दहिया,बेरूत के दक्षिणी हिस्से और बेका में हुए हैं. पेजर के फटने से हिज्बुल्लाह के कुछ लड़ाकों को काफी ज्यादा चोटें आई हैं. हिज्बुल्लाह ने इन धमाकों के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है. कई रिपोर्ट में ऐसा दावा किया जा रहा है कि इजरायल ने हिजबुल्लाह के पेजर हैक किए. फिर इनकी बैटरी के लिथियम आयन को जरूरत से ज्यादा हीट कर दिया. इसी से धमाका हुआ.
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक,हिज्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह सहित संगठन से जुड़े सदस्यों को पेजर ब्लास्ट में निशाना बनाया गया है. लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री फिरास अबियाद ने पुष्टि की है कि इन धमाकों में ईरान के राजदूत मोजतबा अमानी घायल हो गए हैं. कई जगहों पर ऐसे ब्लास्ट हुए. ज्यादातर लोगों को हाथ में चोटें आई हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी अस्पतालों को हाईअलर्ट पर रखा है. हेल्थकेयर वर्कर्स की छुट्टियां भी कैंसिल कर दी हैं.
हिज्बुल्लाह के बारे में जानिए
हिज्बुल्लाह लेबनान का एक शिया राजनीतिक और अर्द्धसैनिक संगठन है. 1980 की शुरुआत में लेबनान पर इजराइल के कब्जे के दौरान इसे ईरान की मदद से बनाया गया था. हिज्बुल्लाह का अर्थ होता है 'पार्टी ऑफ गॉड'. यह लेबनान का ताकतवर ग्रुप है,जिसे सीरिया और ईरान भरपूर समर्थन करता है. जबकि अमेरिका और इसके सहयोगी कई देशों ने इसे आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है.
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