ड्रोन कैमरों से रखी नजर, बिछाया गया जाल, जानें कैसे उदयपुर में पकड़ा गया आदमखोर तेंदुआ

उदयपुर:

राजस्थान में उदयपुर जिले के गोगुंदा में कथित तौर पर तीन लोगों की जान लेने वालेआदमखोर तेंदुए को पकड़ लिया गया है. लोगों पर हमले के बाद सेआदमखोर तेंदुए को पकड़ने का अभियान चलाया गया था.तेंदुए को पकड़ने केअभियान में एक सेना की टीम भी लगी हुई थी. इस तेंदुए के हमले में बुधवार से शुक्रवार के बीच 16 साल की लड़की,50 वर्षीय व्यक्ति और 40 साल की महिला मौत हो गई थी. ये घटनाएं गोगुंदा में अलग-अलग स्थानों पर हुईं थी,जिसके बाद वन अधिकारियों ने तेंदुए को पकड़ने के लिए पांच पिंजरे लगाए थे. ये तेंदुआ निकटवर्ती पहाड़ी इलाके में घूम रहा था और इसकी मौजूदगी से आसपास के ग्रामीणों में डर का माहौल था.

पुलिस के अनुसार,छाली पंचायत के उमरिया गांव में तेंदुए ने दो दिन में पांच किलोमीटर के दायरे में हमला करके तीन लोगों को मार डाला था.

खेत में काम करते हुए किया था हमला

खेत में काम कर रही हमेरी भील (50) पर शुक्रवार शाम को तेंदुए ने हमला कर दिया था. भील के चीखने पर आसपास खेतों में काम कर रहे लोग कुल्हाड़ी,डंडे लेकर उसकी ओर भागे,लेकिन तब तक तेंदुआ हमेरी को जंगल में खींच ले गया. तलाश करने पर लोगों ने झाड़ियों में हमेरी भील को देखा तो तेंदुआ उसके पास ही बैठा हुआ था. लोगों ने शोर मचाया तो तेंदुआ वहां से भाग गया। इसके बाद झाड़ियों से हमेरी का शव निकाला गया. इस हमले के बाद से ही गांव वालों ने घर से निकलना भी बंद कर दिया था.

ड्रोन कैमरों से रखी गई नजर

वन विभाग की एक टीम ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ तेंदुए को खोजने की कोशशि की थी. बाद में तलाशी अभियान में मदद के लिए सेना की एक टीम को भी बुलाया गया था. इलाके की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल भी किया गया.इसके अलावा राजसमंद,उदयपुर और जोधपुर की टीमें भी तलाशी अभियान में जुटी थी. ग्रामीणों ने 'आदमखोर' तेंदुए को गोली मारने की मांग की थी. हालांकि अब उसे पिंजेर में पकड़ लिया गया.

इस तरह से पकड़ा तेंदुआ

आर्मी और वन विभाग की टीम ने एक बड़ा पिंजरा लगाया था. इस पिंजरे के आस पास मछली के पानी का छिड़काव किया गया था. पिंजरे में मांस भी रखा गया था. मांस के चलते तेंदुआ खुद पिंजरे में आ गया और उस पकड़ लिया गया.

लोगों ने ली राहत की सांस

आदमखोर तेंदुए के पकड़े जाने के बाद गांव के लोगों ने राहत की सांस ली है. तेंदुए के खौफ से लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे. न ही हमले के डर से खेतों में काम करने के लिए जा रहे थे.

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