भारत को मिला मल्टी-रोल गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट 'आईएनएस तुशील', जानें इसकी खासियत

नई दिल्ली:

आधुनिक मल्टी-रोल स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट 'आईएनएस तुशील (एफ 70)' को सोमवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. यह युद्धपोत रूस के कलिनिनग्राद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारत को डिलीवर किया गया. रक्षा मंत्री ने 'आईएनएस तुशील' की कमीशनिंग को भारत की बढ़ती समुद्री ताकत का एक गौरवपूर्ण प्रमाण बताया.

उन्होंने कहा कि यह भारत और रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. भारत और रूस के संबंध साझा मूल्यों,आपसी विश्वास व विशेष रणनीतिक विशेषाधिकार से एक साथ बंधे हैं. भारतीय नौसेना का यह नया युद्धपोत कई उन्नत हथियारों से लैस है. इनमें संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल,उन्नत रेंज के साथ वर्टिकली लॉन्च की जाने वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल हैं.

भारतीय नौसेना का यह युद्धपोत मध्यम दूरी की एंटी-एयर और सतह गन से लैस है. इसमें नियंत्रित क्लोज-रेंज रैपिड फायर गन सिस्टम,पनडुब्बी रोधी टॉरपीडो और रॉकेट व उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार सूट भी हैं. 125 मीटर लंबा,3,900 टन वजन वाला यह घातक समुद्री जहाज,रूसी और भारतीय अत्याधुनिक तकनीकों और युद्धपोत निर्माण का एक प्रभावशाली मिश्रण है. सबसे अधिक तकनीकी उन्नत वाला यह फ्रिगेट 'आईएनएस तुशील' भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान के अंतर्गत भारतीय नौसेना के 'स्वाॅर्ड आर्म',पश्चिमी बेड़े में शामिल होगा.

आईएनएस तुशील परियोजना 1,135.6 का एक उन्नत क्रिवाक-3 श्रेणी का फ्रिगेट है. इनमें से छह युद्धपोत पहले से ही सेवा में हैं. इन छह युद्धपोतों में से तीन तलवार श्रेणी के जहाजों का निर्माण सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिस्की शिपयार्ड में हुआ हैं.रक्षा मंत्रालय के मुताबिक,शेष तीन अनुवर्ती टेग श्रेणी के जहाजों का निर्माण रूस के कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में हुआ है. इस श्रृंखला का सातवां जहाज आईएनएस तुशील है. इसके लिए अनुबंध पर जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट,भारतीय नौसेना और भारत सरकार के बीच हस्ताक्षर किए गए थे. यह जहाज अत्याधुनिक नियंत्रण वाले उन्नत गैस टरबाइन संयंत्र द्वारा संचालित है.

आईएनएस तुशील 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है. उच्च स्तर की स्वचालन जैसी विशेषताएं इसकी युद्ध क्षमता को और बढ़ाती हैं. इस जहाज के निर्माण में प्रमुख ओईएम ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड,भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड,केलट्रॉन,नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम,एल्कोम मरीन,जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया और कई अन्य भारतीय संगठन शामिल रहे.


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